Bihar Shiksha Sevak Bharti 2025: बिहार सरकार ने स्कूलों में पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए एक बड़ी घोषणा की है। सरकार ने कहा है कि जून 2025 के अंत तक राज्य में 2200 शिक्षा सेवकों (या टोला सेवकों) की बहाली पूरी कर ली जाएगी। इसका मतलब है कि जिन जगहों पर अभी ये सेवक नहीं हैं, वहां पर नए लोगों की भर्ती की जाएगी।
यह बहाली उन इलाकों के लिए सबसे जरूरी मानी जा रही है जहाँ गरीब, दलित, महादलित और अल्पसंख्यक समाज के बच्चे रहते हैं। सरकार चाहती है कि इन बच्चों को भी अच्छी पढ़ाई मिले और वो स्कूल जरूर जाएं। इसीलिए हर जिले को आदेश दिया गया है कि जल्द से जल्द बहाली की प्रक्रिया पूरी करें।
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शिक्षा सेवक या टोला सेवक कौन होते हैं? Bihar Shiksha Sevak Bharti 2025
टोला सेवक वो लोग होते हैं जो बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उनके घर जाते हैं, उनसे और उनके माता-पिता से बात करते हैं, और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं। ये खासकर उन इलाकों में काम करते हैं जहाँ बच्चे स्कूल नहीं जाते या पढ़ाई छोड़ देते हैं।
ये सेवक सरकार की ‘अक्षर आंचल योजना’ के तहत काम करते हैं। उनका काम है बच्चों को स्कूल लाना, उनकी पढ़ाई में मदद करना, और यह देखना कि बच्चा स्कूल में नियमित जा रहा है या नहीं। टोला सेवक, बच्चों और स्कूल के बीच एक सेतु (पुल) की तरह काम करते हैं।
सरकार क्यों कर रही है ये बहाली?
बहाली का मुख्य मकसद ये है कि हर बच्चा स्कूल जाए और पढ़ाई से जुड़ा रहे। कई इलाकों में अभी भी बच्चे स्कूल नहीं जाते क्योंकि उनके पास सही जानकारी नहीं होती या घर की स्थिति ठीक नहीं होती। ऐसे में टोला सेवक उन्हें समझाकर स्कूल लाते हैं। सरकार चाहती है कि बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए। टोला सेवक बच्चों को पढ़ाई में मदद करते हैं, उनकी परेशानियाँ सुनते हैं और स्कूल के शिक्षकों तक उनकी बात पहुंचाते हैं। इससे पढ़ाई का माहौल सुधरता है।
टोला सेवकों को क्या-क्या करना होता है?
टोला सेवकों का सबसे बड़ा काम ये होता है कि बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। वे घर-घर जाकर माता-पिता को समझाते हैं कि पढ़ाई जरूरी है और उनका बच्चा स्कूल जाए। वो नामांकन कराने में भी मदद करते हैं। अगर किसी बच्चे को स्कूल आने में दिक्कत है जैसे पैसे की परेशानी या घर का काम, तो टोला सेवक उस समस्या को दूर करने की कोशिश करता है। वे बच्चों को होमवर्क करने में भी मदद करते हैं और समय-समय पर अभिभावकों से मिलते हैं।
किन लोगों को मिलेगी इस बहाली में प्राथमिकता?
इस बार की बहाली में दलित, महादलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़े समुदायों के इलाकों को ज्यादा महत्व दिया गया है। सरकार जानती है कि इन इलाकों में पढ़ाई की हालत बाकी जगहों से कमजोर है। टोला सेवक भी उसी समुदाय से लिए जाते हैं, जिससे वे लोगों की भाषा, सोच और समस्याओं को अच्छे से समझ सकें। इससे बच्चों और परिवारों पर जल्दी असर पड़ता है और वो पढ़ाई की तरफ बढ़ते हैं।
शिक्षा विभाग कैसे कर रहा है काम?
शिक्षा विभाग ने हर जिले को आदेश दिया है कि वे जून 2025 तक बहाली का काम खत्म करें। इसके लिए हर जिले को लक्ष्य भी दिया गया है और रोज़ाना प्रगति की जानकारी ली जा रही है। इस बार की बहाली पारदर्शी (साफ-सुथरे) तरीके से की जाएगी, ताकि किसी को कोई शिकायत न हो। आवेदन की प्रक्रिया ऑफलाइन और कुछ जगहों पर ऑनलाइन भी चल रही है। स्थानीय लोगों को इस बहाली में प्राथमिकता दी जा रही है।
इस योजना से लोगों को क्या लाभ मिलेगा?
इस योजना से सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे स्कूल जाएंगे। जो बच्चे अब तक स्कूल नहीं जा पा रहे थे, उन्हें भी पढ़ाई का मौका मिलेगा। इससे बिहार में शिक्षा का स्तर और बेहतर होगा। इसके अलावा, गांवों में रहने वाले युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। जब कोई अपने ही गांव में टोला सेवक बनकर काम करेगा तो वो न केवल बच्चों को पढ़ाएगा, बल्कि समाज में भी जागरूकता फैलाएगा।
टोला सेवकों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी
टोला सेवकों की बहाली के बाद उन्हें सरकार की ओर से प्रशिक्षण (Training) दिया जाएगा, ताकि वो अपना काम अच्छे से कर सकें। इस ट्रेनिंग में उन्हें यह सिखाया जाएगा कि कैसे बच्चों और माता-पिता से बात करनी है। साथ ही, स्कूल के शिक्षक और पंचायत के लोग भी टोला सेवकों की मदद करेंगे। इससे उनका काम आसान होगा और वो पूरे मन से समाज के लिए काम कर पाएंगे।
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