EWS Quota for Women: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए EWS (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग) कोटे में महिलाओं को 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का आदेश दिया है। यह फैसला राज्य सरकार की पुलिस भर्ती प्रक्रिया से संबंधित एक याचिका पर सुनाया गया, जिसमें महिलाओं को समान अवसर न दिए जाने की बात कही गई थी।
इस फैसले का प्रभाव विशेष रूप से उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में दिखाई देगा, जिसमें सब-इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर और फायर ऑफिसर जैसे पद शामिल हैं। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि EWS श्रेणी में भी महिलाओं को उसी प्रकार क्षैतिज आरक्षण दिया जाना चाहिए, जैसा अन्य आरक्षित श्रेणियों (SC/ST/OBC) में होता है।
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याचिका में क्या कहा गया था? EWS Quota for Women
इस मामले में 54 महिलाओं ने याचिका दाखिल की थी, जिनका दावा था कि EWS कोटे में 902 पद थे, लेकिन इनमें 20 प्रतिशत महिला आरक्षण (यानि लगभग 181 सीटें) का पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य सरकार द्वारा अन्य श्रेणियों में तो महिला आरक्षण लागू किया गया, लेकिन EWS में यह पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
महिलाओं की यह दलील थी कि अगर अन्य कोटियों में क्षैतिज आरक्षण संभव है, तो EWS कोटे में क्यों नहीं? कोर्ट ने इस तर्क को सही माना और माना कि राज्य सरकार को सभी श्रेणियों में समान रूप से महिला आरक्षण लागू करना चाहिए, जिससे समानता और न्याय सुनिश्चित हो सके।
कोर्ट का क्या आदेश था?
हाईकोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि EWS श्रेणी में भी महिलाओं को अन्य श्रेणियों की तरह 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण मिलना चाहिए। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि भर्ती प्रक्रिया में EWS महिला उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ देने के लिए आवश्यक संशोधन और कार्रवाई करें।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन महिला उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया, उनके साथ अन्याय हुआ है और राज्य सरकार को इसे सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए। यह आदेश पुलिस भर्ती की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए एक मजबूत पहल है।
किस भर्ती प्रक्रिया पर असर पड़ा ?
यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती 2021 से जुड़ा हुआ है, जिसमें सब-इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर और फायर ऑफिसर के पद शामिल थे। कुल 902 पद EWS कोटे के अंतर्गत थे, लेकिन महिला आरक्षण का पालन किए बिना चयन किया गया। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब अन्य श्रेणियों में महिला आरक्षण का लाभ दिया गया तो फिर EWS श्रेणी को इससे वंचित क्यों रखा गया? कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि EWS श्रेणी के 181 पद महिलाओं के लिए आरक्षित होने चाहिए थे, जो नहीं किया गया।
याचिकाकर्ताओं को क्या लाभ मिला ?
इस फैसले के बाद याचिका दायर करने वाली 54 महिलाओं में से 34 महिलाओं को सीधा लाभ मिल सकता है, क्योंकि उनका चयन न होने का मुख्य कारण आरक्षण का अभाव था। अब राज्य सरकार को इन्हें शामिल करने के लिए प्रक्रिया दोबारा से शुरू करनी होगी। बाकी 20 महिलाएं भी कोर्ट के इस निर्णय के अनुसार लाभ की हकदार हो सकती हैं, बशर्ते वे चयन के अन्य मानदंडों को पूरा करती हों। यह निर्णय भविष्य की भर्तियों के लिए भी मिसाल बनेगा और महिलाओं को EWS कोटे में भी समान अवसर मिलेंगे।
सरकार को अब क्या करना होगा?
अब राज्य सरकार को अपने भर्ती नियमों में संशोधन करना होगा ताकि भविष्य की सभी भर्तियों में EWS श्रेणी की महिलाओं को भी क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिल सके। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि ऐसी गलती दोबारा न हो और भर्ती प्रक्रिया न्यायसंगत हो।
सरकार को सभी विभागों को निर्देश देना होगा कि वे अपनी भर्ती प्रक्रियाओं में महिला आरक्षण की नीति को सभी श्रेणियों में समान रूप से लागू करें। इससे नारी सशक्तिकरण को भी बल मिलेगा और महिलाएं सरकारी नौकरियों में अधिक संख्या में आ सकेंगी।
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EWS Quota for Women FAQ
हाईकोर्ट ने महिलाओं के लिए क्या आदेश दिया है?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पुलिस भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अंतर्गत महिलाओं को 20% क्षैतिज आरक्षण (horizontal reservation) दिया जाए।
यह आदेश किस भर्ती प्रक्रिया पर लागू होगा?
यह आदेश उप निरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर – सिविल पुलिस), प्लाटून कमांडर PAC, और फायर स्टेशन सेकंड ऑफिसर की भर्ती पर लागू होगा।